बच्चों के रोगों के लिए होम्योपैथिक उपचार
- Rakesh Kumar Pandey
- Jul 29, 2020
- 3 min read
बच्चों के रोगों के लिए होम्योपैथिक उपचार
परिचय :-
कई बार बच्चों का पोषण ठीक से न होने पर तथा अन्य कारणों से बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास ठीक से नहीं हो पाता है। ऐसे में बच्चे पढ़ने लिखने में कमजोर रह जाते हैं और किसी विषय पर ठीक से सोच नहीं पाता, उसका शारीरिक विकास ठीक से न होने के कारण बच्चे का कद छोटा रह जाता है। कभी-कभी मानसिक विकास ठीक से न होने पर बच्चा बड़े होने पर भी बच्चे की तरह व्यवहार करने लगता है। ऐसे में बच्चे को होम्योपैथिक औषधि का सेवन कराना चाहिए। इन औषधियों के सेवन से शारीरिक व मानसिक विकास ठीक से होता है और बच्चा स्वस्थ रहता है।
शारीरिक व मानसिक विकास के लिए विभिन्न औषधियों का प्रयोग-
1. बैराइटा कार्ब- जिन बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास ठीक से नहीं हुआ है, वह बौना रह गया है और वह कुछ भी सोच समझ नहीं सकता है। कुछ कहने पर उस बातों को याद नहीं रखता, उसकी लम्बाई नहीं बढ़ती, दिन-प्रतिदिन मोटा और बदसूरत होता जाता है, कुछ पूछने पर मुंह ताकते रहता है और उसका कुछ जबाव न देता है। शरीर में गांठें बनने लगती हैं, हल्की सी ठण्ड लगने पर ही सर्दी हो जाती है, उसकी टांसिल बढ़ी हुई रहती है तथा वीर्य की कमी हो जाती है और उसका शरीर कमजोर होने लगता है। ऐसे लक्षणों से पीड़ित बच्चे को बैराइटा कार्ब औषधि की 200 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए। इससे शारीरिक व मानसिक विकास के क्रम में मदद मिलता है और बच्चा स्वस्थ हो जाता है।
बच्चे के अतिरिक्त बुढ़ापे में शारीरिक शक्ति कम होने, प्रोस्टेट बढ़ जाना, अंडकोष कठोर होना, सर्दी सहन न कर पाना, कमजोरी व अधिक थकावट रहना, चलने में जल्द थक जाना तथा बुढ़ापे में बच्चों सा व्यवहार करना आदि लक्षणों में भी बैराइटा कार्ब औषधि या सीफिलीनम औषधि की 200 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना लाभकारी होता है।
इस औषधि का प्रयोग सप्ताह में 1 बार करना चाहिए और साथ ही इस औषधि के प्रयोग के बीच-बीच में ट्युबर्क्युलीनम औषधि की 200 शक्ति भी दी जा सकती है।
2. स्ट्रैमोनियम- यदि बच्चा मानसिक रूप से अधिक उत्तेजित व गुस्सैल स्वभाव का है और बिना किसी कारण के ही दूसरे बच्चे को मारता-पीटता है, उसका समान छीन लेता है, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाता है और चिल्लाता रहता है, कुछ मांगने पर जल्दी न मिलने पर शोर मचाने लगता है। बच्चे में अधिक डर बना रहने के कारण वह अंधेरे से डरता रहता है। इस तरह का स्वभाव बच्चे में होने के कारण बच्चा मानसिक व शारीरिक रूप से पिछड़ जाता है। ऐसे में बच्चे को स्ट्रैमोनियम औषधि की 200 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए।
यह औषधि सप्ताह में 1 बार देनी चाहिए तथा बीच-बीच में इस औषधि के साथ ट्युबक्र्युलीनम औषधि या सीफिलीनम औषधि की 200 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए।
3. कैलकेरिया कार्ब- मानसिक व शारीरिक विकास रुक जाने के कारण बच्चे को अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बच्चे का विकास ठीक से न होने के कारण बच्चा कमजोर थुलथुला हो जाता है और उसके शरीर पर त्वचा लटकने लगती है। ऐसे बच्चे को हर बात देर से समझ आती है तथा वह हर समय उदास रहता है। शारीरिक व मानसिक विकास ठीक से न होने के कारण उसमें एक प्रकार की सुस्ती सी रहती है जिसके कारण वह हर काम धीरे-धीरे करता है तथा थोड़े सा काम करने या थोड़ी दूर चलने पर थकान महसूस करने लगता है। ऐसे बच्चे मानसिक कार्य बिल्कुल ही नहीं कर पाता। उसका पेट व सिर बढ़ जाता है, खट्टी डकारें आती हैं, त्वचा सफेद हो जाती है एवं शरीर में खून की कमी हो जाती है। इस तरह के लक्षणों में कब्ज होने पर शरीर ठीक रहता है। इस तरह के लक्षणों में कैलकेरिया कार्ब औषधि की 200 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए।
4. सिफिलीनम- बच्चे का स्वभाव हमेशा बदलता रहता है जिसके फलस्वरूप बच्चा कभी अचानक जोर से हंसता है और कभी गम्भीर सोच में पड़ जाता है। इस तरह के लक्षणों में बच्चे को सिफिलीनम औषधि की 200 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।
5. ट्युबर्क्युलीनम- बच्चे में किसी कारण से शारीरिक या मानसिक विकास रुक गया हो तो बच्चे को ट्युबर्क्युलीनम औषधि की 200 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए।
विशेष-
ट्युबर्क्युलीनम या सीफिलीनम औषधि का प्रयोग अन्य औषधियों के बीच महीने में 1 या 2 बार ही दें। इस तरह इन औषधियों का प्रयोग बच्चे को 3 से 4 महीने तक देनी चाहिए। इससे बच्चे का शारीरिक व मानसिक विकास ठीक से होता है।
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