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डकार आना

  • Writer: Rakesh Kumar Pandey
    Rakesh Kumar Pandey
  • Aug 13, 2020
  • 6 min read

डकार आना



परिचय : पेट में बनी गैस जब मुंह से बाहर आती है तो वह डकार कहलाती है। पेट में अधिक अम्लता (एसिडिटीज) के बनने से गैस होने लगती है़, जिसके कारण मुंह में हल्का-सा खट्टा या तीखा पानी आता है।


विभिन्न औषधियों से उपचार :-


1. अर्जेंटम नाइट्रिकम :- रोगी को बहुत अधिक डकारें आती है जिसके कारण से रोगी को अधिक कष्ट होता है, हर बार भोजन करने के बाद डकारें आती है और ऐसा लगता है कि पेट फूलकर फट जाएगा। इस प्रकार के लक्षण होने पर रोग को ठीक करने के लिए अर्जेंटम नाइट्रिकम औषधि की 3 या 30 शक्ति का उपयोग कर सकते हैं। रोगी को ऐसा लगता है कि डकार गले में अड़ा हुआ है इसके बाद डकार की वायु जोर से आवाज के साथ निकलती है। रोगी को मीठा खाने का भी मन करता है। रोगी अपने सभी कामों को जल्दी-जल्दी में करना चाहता है, किसी भी बात पर आशंका होती है कि कहीं ऐसा न हो जाए, कहीं वैसा न हो जाए। रोगी में अजीब प्रकार की भय रहती है, ऊंची जगह पर या मकान के मुंडेर पर खड़े होने से भय लगता है। रोगी ऊष्ण प्रकृति का होता है। रोगी का पेट भी फूला रहता है और डकारें आती रहती है। ऐसे रोगी के इस समस्या को दूर करने के लिए यह औषधि उपयोगी होती है।


2. नक्स वोमिका :- रोगी को डकारें आती है और इसके साथ ही मुंह में कड़वा और खट्टा पानी आता है, खाना खाने के बाद जी मिचलाने लगता है, उल्टी करने की इच्छा अधिक होती है, पेट की हवा ऊपर की ओर आती है और छोटी पसलियों के नीचे से दबाव डालती हुई महसूस होती है। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में हैं तो उसके इस रोग को ठीक करने के लिए नक्स वोमिका औषधि की 3 या 30 शक्ति का उपयोग करना अत्यंत लाभकारी होगा। रोगी में और भी कई प्रकार के लक्षण होते हैं जिन्हें देखकर ही इस औषधि का प्रयोग करना चाहिए। ये लक्षण इस प्रकार हैं- रोगी शीत-प्रकृति का होता है, ठंड को बर्दाश्त नहीं कर पाता, हर एक बात में गलती को निकालने वाला होता है जैसे- उसके सामने यदि दीवार पर कोई तस्वीर टेढ़ी रखी हो तो उसे वह झट से सीधा कर देता है, वह बड़ा सावधान, दूसरो के प्रति जलनशील, जरा सी बात पर गुस्सा होना, उत्तेजित हो जाना, परेशान रहना, नाराजगी, दु:खी मन होना आदि। रोगी दुबला-पतला होता है, हर बात में जल्दी करता रहता है।


3. पल्सेटिला :- शाम के समय में पित्त की डकारें आती है, डकार कड़वा या खट्टा होता हैं, डकार आने पर खाये हुए भोजन का स्वाद महसूस होता है। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में हों तो उसके रोग को ठीक करने के लिए पल्सेटिला औषधि की 30 या 200 शक्ति का उपयोग किया जा सकता है। इस औषधि का उपयोग करते समय रोगी में कुछ इस प्रकार के लक्षणों को भी देखना चाहिए जैसे- मुंह सूखा रहना लेकिन प्यास न लगना, घी तथा चर्बी युक्त पदार्थों के प्रति अरुचि होना, मक्खन न खा पाना आदि। ऐसे रोगी को यदि पेस्ट्री, केक या परौंठा या फिर रबड़ी-मलाई खाने के लिए दिया जाता है तो रोगी का इससे पेट खराब हो जाता है, उसे भूख नहीं लगती तथा प्यास भी नहीं लगती है और कब्ज भी नहीं बनता है। रोगी मृदु-स्वभाव का हो जाता है, किसी बात के प्रति वह झट से मान जाता है, आसानी से रो पड़ता है। ऐसे रोगी का स्वभाव बदलता रहता है। रोगी ऊष्ण प्रकृति का होता है, वह ठंडी तथा खुली हवा को पसंद करता है, सहानुभूति चाहता है। रोगी मोटा-ताजा होता है, हर काम आराम से करता है, किसी भी काम को करने में जल्दी नहीं करता है।


4. कार्बो वेज :- रोगी के पेट में गैस बनती है और गैस के कारण से पेट फूला रहता है, पेट में जलन होती है, लगातार डकारें आती है, अपच भी हो जाता है, डकारें आने के साथ ही आमाशय रस मुंह में आ जाता है, अपच के कारण से पेट में जलन भी होती है। रोगी मक्खन, घी तथा दूध पसंद नहीं करता है, मीठा तथा नमक पंसद करता है, वह कॉफी भी पंसद करता है। जब उसको डकारें आती है तो उसे कुछ आराम मिलता है और सिरदर्द, गठिया आदि का दर्द भी कम हो जाता है, उसको हर समय डकारें आती है, जब देखे डकारें आती रहती है, उसको हवा भी अच्छी लगती है। रोगी अपने पेट के अंदर जलन महसूस करता है परंतु बाहरी त्वचा पर ठंड महसूस करता है। इस प्रकार के लक्षण यदि रोगी में हैं तो उसके इस रोग को ठीक करने के लिए कार्बो वेज औषधि की 6, 30 या 200 शक्ति का उपयोग करना लाभकारी होता है।


5. कार्बो एनीमैलिस :- यदि किसी रोगी के पेट का ऑपरेशन हो चुका है और उसके बाद जब पेट में हवा भर जाती है तब कार्बो एनीमैलिस औषधि की 200 शक्ति की एक मात्रा का सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है। यदि हवा पेट की नली में आ फंसे तो कार्बो एनीमैलिस औषधि का उपयोग उपचार के लिए लेना चाहिए। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए कार्बो वेज औषधि का प्रयोग करने के बाद कार्बो ऐनीमैलिस औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करना और भी अधिक लाभदायक होता है।


6. चायना :- रोगी के पेट में सिर्फ ऊपर के भाग में ही नहीं बल्कि पुरे पेट में हवा भर जाती है, डकारें आती रहती है। पेट से कड़वा पानी ऊपर उठकर आता रहता है यदि इस समय रोगी को डकारें आ भी जाएं तो भी आराम नहीं मिलता है, हिचकियां भी आती है, किसी भी प्रकार के फलों का सेवन करने पर वह पचता नहीं है बल्कि रोग के लक्षणों में वृद्धि होने लगती है। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए चायना औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना उचित होता है।


7. इपिकाक :- जी मिचलाने के साथ ही डकारें आना और मुंह से लार निकलना, उल्टी भी आ जाती है, उल्टी के साथ ही जीभ बिल्कुल साफ रहती है, उल्टी आने के बाद रोगी को कुछ आराम मिलता है तथा उल्टी आने पर जीभ साफ रहता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए इपिकाक औषधि की 3, 30 या 200 शक्ति का उपयोग करने से फायदा मिलता है।


8. फॉस्फोरस :- रोगी को हल्की डकारें आती है, डकार आने के साथ ही कभी-कभी खाएं हुए भोजन मुंह में उछल कर आ जाता है, पेट में जलन होती है, तेज प्यास भी लगती है लेकिन रोगी ठंडा, बर्फीला पानी पीना चाहता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी पानी को देखना पसंद नहीं करता है, पानी को देखते ही उसका जी मिचलाने लगता है, स्नान करते हुए पानी को देख लेने पर वह आंखें बंद कर लेता है। उसके पेट में पानी गर्म हो जाता है तब उल्टी आ जाती है। रोगी अपने पेट पर ठंडी चीज को रखना चाहता है, पेट दर्द भी आइस क्रीम खाने या ठंडा पेय लेने से ठीक हो जाता है। इस प्रकार के लक्षण रोगी में हैं तो उसके इस रोग को ठीक करने के लिए फॉस्फोरस औषधि की 30 शक्ति का उपयोग करना लाभदायक होता है।


9. कैमोमिला :- जब रोगी को पेट दर्द होता है तो इसके साथ ही डकारें भी आती है। साधारण तौर पर जब डकारें आती है तो कुछ पेट दर्द से आराम मिलता है, उल्टी भी आती है तथा मुंह में लार भर जाता है, पेट में हवा अटक जाती है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए कैमोमिला औषधि की 30 शक्ति का सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है। जो लोग दर्द को आराम से सहन कर लेते है उनके लिए यह औषधि उपयोगी नहीं होती है। यदि रोगी के इस रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार की औषधियों का सेवन करने पर भी ठीक प्रकार से लाभ न मिले तो उन औषधियों के प्रयोग के बीच में इसका सेवन करना अत्यंत लाभदायक होता है।


10. ऐसाफेटिडा :- रोगी को तेज डकारें आती हैं, हवा डकार के द्वारा बाहर निकलती है, मलद्वार से हवा नहीं निकलती है, पेट से हवा ऐसे निकलती है जैसे पटाके छूट रहे हों, लगभग हर सेकेंड के बाद ऐसा होता है। रोगी यह समझ नहीं पाता है कि इतनी हवा पेट में कहा से आ गई। ऐसे रोगी के रोग का उपचार करने के लिए ऐसाफेटिडा औषधि की 2 या 6 शक्ति का उपयोग कर सकते हैं।


11. सल्फर :- भोजन के छोटे-छोटे टुकड़े डकार के साथ आते हों तथा यह मुंह में अधिक खट्टा लग रहा हो तो उपचार करने के लिए सल्फर औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।



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