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बच्चों के रोगों के लिए #होम्योपैथिक उपचार

  • Writer: Rakesh Kumar Pandey
    Rakesh Kumar Pandey
  • Jul 23, 2020
  • 5 min read

बच्चों के रोगों के लिए #होम्योपैथिक उपचार



#बच्चों का #स्वभाव बदल जाना



परिचय :-


बच्चों के स्वभाव में होने वाले परिवर्तन के कारण बच्चे में विभिन्न प्रकार के स्वभाव उत्पन्न होने लगते हैं। ऐसे में बच्चे में दूसरे को परेशान करने, गाली देने, आग लगाने तथा अधिक चिड़चिड़ेपन वाले स्वभाव उत्पन्न हो जाते हैं। इस तरह के लक्षणों को ठीक करने के लिए होम्योपैथिक औषधि का प्रयोग अत्यंत लाभकारी होता है।


बच्चों के स्वभाव में परिवर्तन होने पर विभिन्न औषधियो का प्रयोग-


1. कैमोमिला- गोद में रहने वाले छोटे बच्चे जो अधिक चिड़चिड़े स्वभाव के होते हैं। हमेशा रोते रहते हैं, बेचैन रहता है तथा गोद से नीचे बिल्कुल ही नहीं रहना चाहता ऐसे बच्चे को जब भी गोद से नीचे रखते हैं तो वह जोर से रोने लगता है और गोद में लेते ही शांत हो जाता है। इस तरह के स्वभाव के बच्चे के चिड़चिड़ापन, सहनशक्ति, बेचैनी आदि को दूर करने के लिए कैमोमिला औषधि की 30 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए। इससे बच्चे के स्वभाव में परिवर्तन आता है और बच्चा गोद से नीचे भी शांत रहता है। इस तरह के लक्षण यदि छोटी बच्ची में हो और वह हल्का सा दर्द भी बर्दाश्त नहीं कर पाता है तथा उसके छाती के पास छूने से भी तेज दर्द होता है तो ऐसे में बच्ची को कैमोमिला औषधि की ही 30 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए।


2. इग्नेशिया- बच्चे के अधिक उत्तेजित स्वभाव (इमोशनल), दुखी रहना तथा उत्त्साहिनता, एकांत में बैठना, चुपचाप किसी सोच में पड़ा रहता है तथा छोटी-छोटी बातों पर भी गुस्सा करना, बिना बात के रोते रहना तथा सुन्न अवस्था में पड़े रहना। इस तरह के लक्षण यदि बच्चे में दिखाई दे तो उसे इग्नेशिया औषधि की 200 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए।


3. पल्सेटिला- बच्चे के ऐसे लक्षण जिसमें बच्चा शांत रहता है, उद्वेद प्रधान होता है, हल्की बात से भी डर जाता है, भयभीत हो जाता है, उसका स्वभाव बदलता रहता है, बिना किसी कारण के ही रोता रहता है, रोते-रोते हंसने की प्रवृति हो जाती है, बच्चे को ठीक से नींद नहीं आती है तथा प्यास भी बहुत कम लगती है और शरीर अधिकतर मोटा होता है। इस तरह के लक्षणों में बच्चे को पल्सेटिला औषधि की 30 शक्ति की मात्रा से उपचार करना चाहिए।


4. सीपिया- बच्चों के स्वभाव में परिवर्तन आना जैसे- बच्चा हमेशा शांत व दु:खी रहता है, उसे किसी काम को करने का मन नहीं करता, छोटी-छोटी बातों पर उदास हो जाता है, खेलने या पढ़ने में बिल्कुल मन नहीं लगता, कोई नई चीजें मिलने पर भी खुश नहीं होता है, किसी की बातें बुरी लगने पर एकांत में जाकर रोने लगता है, उसके शरीर में थकावट व मन में पश्चाताप बना रहता है, दूध को पचा नहीं पाता, शरीर कमजोर व पतला होता है और नाक पर पीले रंग के दाग उत्पन्न हो जाते हैं व नाक का दाग गोले के रूप में नाक के ऊपर से होकर गाल के दूसरी ओर तक फैल जाता है। इस तरह के लक्षणों से ग्रस्त बच्चे को सीपिया औषधि की 30 या 200 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए। इससे बच्चे के स्वभाव में परिवर्तन होकर बच्चा सामान्य स्वभाव का बनता है।


5. नैट्रम-म्यूर- यदि बच्चा हर समय दु:खी व उदास रहता है, किसी के द्वारा कुछ पूछने पर कोई जबाव नहीं देता है और बार-बार पूछने पर अधिक गुस्सा हो जाता है तथा बात करने या कुछ भी बोलने से बिल्कुल मना कर देता है। ऐसे स्वभाव वाले बच्चे को नमक अधिक अच्छा लगता है। ऐसे स्वभाव वाले बच्चे को ठीक करने के लिए नैट्रम-म्यूर औषधि की 3 या 30 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।


6. आयोडियम- यदि बच्चे को अधिक भूख लगती है तथा खाना खाने के कुछ देर बाद फिर से खाना मांगने लगता है, उसे खाना खाने पर भी ऐसा महसूस होता है जैसे पेट अभी खाली ही है। अधिक खाना खाने के बाद भी कमजोर व पतला रहता है। उसकी ग्रंथियां का स्राव दूषित होता है (मल्सेक्रेशन ऑफ ग्लैण्ड), गले की ग्रंथि (थाइराइड ग्लैण्ड), बगल की ग्रंथि (एक्सील्लरी ग्लैण्ड), छोटी आंत की ग्रंथि (मेसेन्टेरीक ग्लैण्ड) तथा जांघों की ग्रंथि (इनजुइनल ग्लैण्ड) ठीक से काम नहीं करती और वह सूज जाती है। इस तरह के लक्षणों से ग्रस्त बच्चे को ठीक करने के लिए आयोडियम औषधि की 3 या 30 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए। इससे ग्रंथियों की सूजन आदि दूर होती है और बच्चे के स्वभाव में बदलाव आता है।


7. हिपर सल्फ- जो बच्चा अधिक शरारती होता है और उसे दूसरों को परेशान करने में मजा आता है। ऐसे बच्चे दूसरे को परेशान करने के लिए हमेशा कुछ न कुछ करते रहते हैं, कभी दूसरे बच्चे को मारता-पीटता है, दूसरे की चीजों को बर्बाद कर देता है, दूसरे बच्चों के खिलौने छीन लेता है। इस तरह का स्वभाव यदि बड़े बच्चे में उत्पन्न होता है और वह नाई का काम करता है तो हजामत करते समय उसका मन करता है कि उस्तरे से ग्राहक का गला ही काट दें। इस तरह के स्वभाव वाले बच्चे को हिपर-सल्फ औषधि की 30 या 200 शक्ति की मात्रा का सेवन करना चाहिए।


8. ऐनाकार्डियम- बच्चे का स्वभाव अचानक बदलने लगता है। वह किसी की बातों को नहीं मानता तथा अपने से बड़े व्यक्तियों का अनादर करता है। बच्चा न चाहते हुए भी दूसरे का अनादर करता है। घर में होने वाले गम्भीर मामलों में वह हंस देता है और कुछ बोल देने पर शांत व गम्भीर हो जाता है। बच्चे अधिक चिड़चिड़ा, शैतान एवं गाली बोलने वाला हो जाता है। बच्चे में इस तरह का स्वभाव होने पर बच्चे को ऐनाकार्डियम औषधि की 30 शक्ति की मात्रा देने से लाभ होता है।


9. लाइकोपोडियम- यदि बच्चा अधिक गुस्सैल स्वभाव वाला है, बात करने पर कटु-भाषा (गलत भाषा) का प्रयोग करता है, किसी से बात करते समय अपने पर काबू नहीं रख पाता है, उसमें आत्मविश्वास नहीं होता तथा किसी प्रकार की कोई जिम्मेदारी लेने से कतराता रहता है। इस तरह के लक्षणों में बच्चे को लाइकोपोडियम औषधि की 30 या 200 शक्ति की मात्रा देनी चाहिए।


10. कॉस्टिकम- यदि बच्चा अधिक डरपोक है और हल्की सी आवाज सुनने पर डर जाता है। बच्चा चलना-बोलना देर से सीखता है तथा उसका शारीरिक विकास ठीक से नहीं हो पा रहा हो। हर समय उसमें एक प्रकार की घबराहट सी बनी रहती हो। इस तरह के लक्षणों में बच्चे को कॉस्टिकम औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का सेवन करना लाभकारी होता है।


11. सल्फर- दमा, एक्जिमा होना, सुबह के समय तेजी से दस्त लगने, नींद न आना, कमजोरी व थकावट आना, एक जगह स्थिर न रह सकना, व्यायाम करने की इच्छा न करना, स्नान न करना आदि लक्षणों वाले बच्चे को सल्फर औषधि की 30 या 200 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।


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