गृध्रसी वात
- Rakesh Kumar Pandey
- Aug 12, 2020
- 2 min read
हाथ, पैर और हडि्डयों के रोगों के लिए होम्योपैथिक उपचार
गृध्रसी वात
परिचय-
इस रोग के होने पर कमर से लेकर जांघ के बाहरी भाग के नीचे की ओर टागों तक दर्द होता है। यह रोग रीढ़ की हड्डी के नीचे स्थित सायटिका तन्त्रिका पर दबाव पड़ने के कारण होता है। यह रोग गलत तरीके से बैठने, मांसपेशियों में खिंचाव आने, अधिक मोटापा होने, गर्भावस्था के कारण, मेरुमज्जा के मोहरों की स्थान हटने और सायटिका नस में सूजन आने के कारण होता है।
लक्षण :-
इस रोग से पीड़ित रोगी जब उठता है तो अचानक दर्द उसके कूल्हों से होकर जांघ के पीछे की ओर पैरों तक चला जाता है। दर्द तेज या हल्का होता है। दर्द ऐसा महसूस होता है जैसे कि गोली लग गई हो। जब रोगी आगे की ओर झुकता है तो दर्द बढ़ने लगता है। रोग ग्रस्त भाग सुन्न और कमजोर हो जाते हैं।
रोग होने पर क्या करें और क्या न करें :-
इस रोग से पीड़ित रोगी को अपने बैठने की स्थिति में कुछ अन्तर लाना चाहिए।
स्नायु पर दबाव पड़ने से बचना चाहिए और उसे लचीला बनाए रखना का उपाय करना चाहिए।
सख्त तथा समतल गद्दे पर सोना चाहिए।
दर्द को कम करने के लिए दर्द वाले भाग पर बर्फ से सिंकाई करनी चाहिए।
पीठ व जांघ पर मालिश करनी चाहिए।
इस रोग के होने पर रोगी को चिकित्सक से सलाह लेकर उपचार करना चाहिए।
रोगी को नियमित रूप से प्रतिदिन सुबह तथा शाम के समय में व्यायाम करना चाहिए।
मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।
कार्बोहाइड्रेट व वसा का सेवन नहीं करना चाहिए।
रोगी को फर्श से वस्तु को उठाते समय झुकना नहीं चाहिए बल्कि घुटनों पर बैठकर उठना चाहिए।
#anika #homeopathic #clinic Anika homeopathic clinic Gandhinagar Colony, Laxirampur, #Azamgarh, Uttar Pradesh 276001, India +91 94507 31937 https://goo.gl/maps/bxrEAvyqqW623k4C8
Comentarios