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आंखों के रोगों के लिए होम्योपैथिक उपचार

  • Writer: Rakesh Kumar Pandey
    Rakesh Kumar Pandey
  • Jul 27, 2020
  • 2 min read

आंखों के रोगों के लिए होम्योपैथिक उपचार


#धुंधला दिखाई देना


परिचय :


इस रोग के कारण रोगी को धुंधला दिखाई देता है तथा उसके आंखों के सामने ऐसा लगता है जैसे कि कुहरा छाया हो। वैसे तो इस रोग के होने का कारण ठीक प्रकार से कहा नहीं जा सकता है लेकिन यह रोग शरीर खराब हो जाने पर ही अक्सर होता है। यह रोग किसी-किसी बीमारी के साथ भी हो सकता है।


धुंधला दिखाई देने का कारण :


इस रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण डायबेटिक मेलीलोटस औषधियां जैसे-रक्तचाप रोधी, अवसाद रोधी और स्टेराइड्स ड्रग्स का लम्बे समय तक आंखों में डालना के कारण होता है। मोतियाबिन्द के कारण भी यह रोग हो जाता है। अधिक देर तक आंखों का इस्तेमाल करने तथा देर तक किसी चीज को देखने से भी यह रोग हो सकता है। सही प्रकाश में न देखने के कारण भी यह रोग हो सकता है। शरीर में अधिक कमजोरी आने के कारण भी यह रोग हो सकता है। अंधेरे में टी.बी. देखने या कम प्रकाश में पढ़ने तथा आंखों पर ज्यादा दबाव पड़ने से यह रोग हो जाता है।


धुंधला दिखाई देने पर लक्षण :


इस रोग से पीड़ित रोगी के एक आंख में या आंख के चारों ओर धीमा दर्द होता रहता है, हलकी धुंधली दृष्टि हो जाती है। इस रोग के लक्षण सोने या आराम करने से कम होता हैं। इस रोग के होने पर रोगी की आंख की पुतली फैल जाती है, अधिक आंसू आता है, प्रकाश के चारों ओर घेरा दिखाई देता। रोगी के सिर में दर्द होता रहता है और जी मिचलाता रहता है और उल्टियां होती है। पलकों पर सूजन भी हो जाती है।


धुंधलापन दिखाई देने पर रोगी को क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए :-



इस रोग के होने पर रोगी को उचित सलाह लेकर ही उपचार करना चाहिए।

यदि रोगी को मधुमेह या अधिक रक्तचाप का रोग है तो सबसे पहले इन रोगों का उपचार करना चाहिए फिर इस रोग का उपचार करना चाहिए।

रोगी को कम प्रकाश की रोशनी में कोई काम या पढ़ने-लिखने का कार्य नहीं करना चाहिए।

इस रोग से पीड़ित रोगी को अंधेरे कमरे में टी.वी. नहीं देखना चाहिए।

धूम्रपान या शराब पीने से बचना चाहिए क्योंकि ये आंखों की बीमारियों को उत्तेजित करते हैं।

रोगी को भोजन में हरी पत्तियों वाली सब्जियों, फलों, विटामिन-सी युक्त पदार्थ का उपयोग करना चाहिए।

रोगी को अंगूर, नींबू, संतरे, कैल्शियम, विटामिन- ´ए´ तथा विटामिन- ´बी´ का सेवन करना चाहिए।

आंखों से सम्बन्धित कई प्रकार के व्यायाम करने से भी रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है। व्यायाम करने के लिए आंखों को ऊपर-नीचे, दाएं-बाएं घुमाना चाहिए तथा चक्राकार रूप में घुमाना चाहिए तथा गर्दन को भी वृत्ताकर और अर्धवृत्ताकार रूप में घुमाना चाहिए। रोगी को ताजी हवा में सांस लेनी चाहिए और सुबह के समय में व्यायाम करना चाहिए। पैदल चलना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है तथा पैदल चलने से आंखों की रोशनी भी अच्छी होती है।


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